263 कोरोना पोजिटिव मरीजों तथा मरीजों के 794 कांटैक्ट किये जा चुके ट्रेस
केस ट्रेसिंग व कांटैक्ट ट्रेसिंग के साथ दे रहे क्वारंटाईन की पूर्ण जानकारी: उपायुक्त पूनिया
सरल केंद्र में स्थापित कांटैक्ट ट्रेसिंग सैल की कमान संभाल रही आईएएस अधिकारी सलोनी शर्मा
बेहतरीन परिणामों के लिए केंद्रीकरण की ओर बढ़ा रहे सफल कदम: सलोनी शर्मा
सोनीपत, 15 जून 2020,चैनल88 न्यूज़ (नवीन बंसल):- वैश्विक महामारी कोविड-19 की रोकथाम और फैलाव को रोकने की दिशा में कांटैक्ट ट्रेसिंग सैल कारगर भूमिका अदा कर रही है। उपायुक्त श्याम लाल पूनिया के निर्देशन में सरल केंद्र में सैल की स्थापना की गई है। सैल की कमान अंडर ट्रेनी आईएएस अधिकारी सलोनी शर्मा को सौपी गई है, जिनके नेतृत्व में अभी तक 263 कोरोना पोजिटिव मरीजों को ट्रेस किया जा चुका है।
उपायुक्त श्याम लाल पूनिया कहते हैं कि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए जरूरी है कि पोजिटिव मरीजों की तुरंत प्रभाव से पहचान कर क्वारंटाईन किया जाए। साथ ही पोजिटिव मरीजों के कांटैक्ट को भी टे्रस करना अति आवश्यक है। ऐसा करके इसके फैलाव को रोका जा सकता है। यही कारण है कि जिला प्रशासन ने कांटैक्ट ट्रेसिंग सैल का गठन किया है। यह सैल केस ट्रेसिंग व कांटैक्ट ट्रेसिंग का कार्य कर रही है। साथ ही कांटैक्ट में आने वाले लोगों को क्वारंटाईन संंबंधित महत्वपूर्ण जानकारी देने का काम भी सैल के माध्यम से किया जा रहा है।
नोडल अधिकारी सलोनी शर्मा के अनुसार कांटैक्ट ट्रेसिंग सैल 4 जून से क्रियान्वित की गई है। तब से अब तक सैल की सहायता से 263 पोजिटिव मरीजों को ट्रेस किया जा चुका है। साथ ही पोजिटिव मरीजों के 794 कांटैक्ट भी टे्रस किये गये हैं। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में पोजिटिव मरीजों के आंकड़ों में उछाल आया है। ऐसे में कांटैक्ट टे्रसिंग टीम को भी सुदृढ़ करना जरूरी था। इसके लिए उपायुक्त ने सैल का गठन करवाया। पहले यह कार्य सिविल अस्पताल में आईडीएसपी विभाग करता था।
कांटैक्ट ट्रेसिंग सैल:
कांटैक्ट ट्रेसिंग सैल की नोडल अधिकारी सलोनी शर्मा के नेतृत्व में डा. मनीष (आईडीएसपी विभाग के पब्लिक हैल्थ मैनेजर) को सैल का प्रभारी नियुक्त किया गया है। इनके अंतर्गत 12 लोगों की समर्पित टीम कार्यरत है, जिसमें शिक्षा विभाग के कंप्यूटर कर्मचारी व शिक्षकगण शामिल हैं। इन्हें दो टीमों (छह-छह व्यक्ति एक टीम में) में बांटा गया है। एक टीम केस टे्रसिंग व कांटैक्ट ट्रेसिंग के लिए कॉलिंग का काम करती है तथा दूसरी टीम कंप्यूटर पर कांटैक्ट ट्रेसिंग संबंधित फॉरमैट तैयार करती है।
हाई रिस्क-लो रिस्क संपर्कों की करते हैं सूची तैयार:
नोडल अधिकारी सलोनी शर्मा के अनुसार कांटैक्ट ट्रेसिंग सैल के माध्यम से पोजिटिव मरीजों के संपर्क में आने वाले लोगों की दो सूची तैयार की जाती है। एक सूची में हाई रिस्क तथा दूसरी सूची में लो-रिस्क मरीज शामिल किये जाते हैं। हाई रिस्क में वे लोग होते हैं जो पोजिटिव मरीज के सीधे संपर्क में आते हैं, जिनमें प्रमुख रूप से परिजन व सिम्पटोमैटिक व्यक्ति होते हैं। लो-रिस्क में कार्यक्षेत्र व पड़ोस के लोग शामिल किये जाते हैं। सूची में शामिल लोगों को 14 से 28 दिन के होम क्वारंटाईन की जानकारी दी जाती है। पहले 14 दिनों तक लगातार मॉनिटरिंग की जाती है। इसके बाद के दिनों में सेल्फ मॉनिटरिंग को शामिल किया गया है। मरीजों को सैंपलिंग की जानकारी भी दी जाती है। यदि मरीजों में कोरोना के लक्षण दिखाई देते हैं तो उन्हें अस्पताल में स्थानांतरित करवाया जाता है।
दो से तीन घंटों में 30 से 40 केस कर सकते हैं ट्रेस:
सैल के प्रभारी डा. मनीष बताते हैं कि कांटैक्ट ट्रेसिंग सैल दो से तीन घंटों में 30 से 40 पोजिटिव केस ट्रेस कर सकती हैं। इसके बाद इनके कांटैक्ट ट्रेस किये जाते हैं, जिसके लिए फोन पर सीधा संपर्क साधा जाता है। जो मरीज अपने कांटैक्ट छिपाते हैं उनकी सीडीआर (कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड) निकलवाई जाती है। सीडीआर निकालने में पुलिस की मदद ली जाती है। इसके अलावा क्षेत्रीय स्तर पर भी जानकारी ली जाती है, जिसमें एएनएम व आशा वर्कर और एमपीएचडब्ल्यू सहायता करते हैं। इस प्रकार पोजिटिव मरीज के संदर्भ में जानकारी को पुख्ता किया जाता है।
सैल के केंद्रीकरण की ओर बढ़ा रहे कदम:
नोडल अधिकारी सलोनी शर्मा ने बताया कि बेहतरीन परिणामों के लिए कांटैक्ट ट्रेसिंग सैल को केंद्रीकरण किया जा रहा है। सिविल अस्पताल के आईडीपीएस विभाग के कर्मियोंं को भी अब सरल केंद्र में स्थापित सैल में ही बिठाया जाएगा। इससे कोविड अस्पताल से आने वाली सूचना सीधे तौर पर सैल को मिलेगी, जिससे मरीजों की ट्रेसिंग में गति आएगी। ऐसा करने से पोजिटिव मरीजों को तुरंत प्रभाव से आईसोलेट किया जा सकेगा, जिससे वायरस के फैलाव पर लगाम लगेगी।
संपर्क में आने वाले लोगों को दी जाती है जरूरी जानकारी:
नोडल अधिकारी सलोनी शर्मा ने कहा कि कोरोना पोजिटिव मरीजों के संपर्क में आने वाले लोगों को सैल की सहायता से जरूरी जानकारी भी दी जाती है। इसमें विशेष रूप से होम क्वारंटाईन के नियमों की जानकारी शामिल रहती है। कांटैक्ट हिस्ट्री में शामिल लोगों को फोन पर ही जानकारी दी जाती है कि वे किस प्रकार से खुद को क्वारंटाईन करके दूसरों को संक्रमित होने से बचा सकते हैं। हैल्पलाईन नंबर-1950 की भी जानकारी दी जाती है, जिसपे कॉल करके कोई भी मदद ली जा सकती है।