कैट ने वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल से प्रेस नोट 2 के स्थान पर एक नया प्रेस नोट जारी करने का आग्रह किया
(ब्यूरो):- कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पियूष गोयल को एक पत्र भेजकर एफडीआई पालिसी 2018 के प्रेस नोट न. 2 के प्रावधानों का दुरूपयोग करने का अमेज़न पर आरोप जड़ते हुए हुए श्री गोयल से आग्रह किया है की प्रेस नोट न. 2 में सरकार की मंशा का खुला स्पष्टीकरण करने तथा उसकी विसंगतियों को दूर करने के लिए एक नया प्रेस नोट जारी किया जाए जिससे ई कॉमर्स कंपनियों द्वारा प्रेस नोट के उल्लंघन की सम्भावना को कम किया जा सके ! कैट ने कहा है की मौजूदा एफडीआई पालिसी के उपनियम न केवल मल्टी ब्रांड रिटेल में किसी भी प्रकार की विदेशी कंपनी को निवेश की मंजूरी नही देते है, बल्कि किसी भी विदेशी कंपनी अथवा विदेशी स्वामित्व वाली ई कॉमर्स कंपनी को भारतीय ई कॉमर्स पर पोर्टल द्वारा इनवेंटरी को नियंत्रित करने की इज्जाजत भी नही देतें है। हालांकि इस बात के साफ संकेत मिल रहे है कि कई बड़ी विदेशी ई कॉमर्स कंपनियां जैसे कि अमेज़न पैंट्री, क्लाउडटेल पैंट्री इत्यादि सीधे तौर ग्रोसरी रिटेल से जुड़ी “इन्वेंटरी आधारित ई कॉमर्स मॉडल” को न केवल नियंत्रित कर रही है बल्कि उनमे निवेश भी कर रही है। देश की एफडीआई पालिसी का खुलेआम हो रहा ये अनादर कैट को हरगिज़ मंजूर नही है और यही कारण है कि कैट ने पत्र लिख श्री पीयूष गोयल से इस विषय मे तुरंत कदम उठाने का अनुरोध किया है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया की एफडीआई पालिसी के सेक्शन 5.2.15 मल्टी ब्रांड रिटेल ट्रेड के लिए ही बनाये गए है। लाखों छोटे व्यापारियों के हितों की सुरक्षा के लिए मल्टीब्रांड रिटेल ट्रेड में एफडीआई को सरकार ने प्रतिबंधित किया है जिसमें खाद्य प्रदार्थ भी शामिल है और खाद्य प्रदार्थों में ई कॉमर्स अथवा मल्टीब्रांड रिटेल ट्रेड में व्यपारियो के हितों के लिए सरकार द्वारा बनाई गई पालिसी का दुरुपयोग कर अमेज़न सहित कुछ विदेशी कंपनियां न केवल इन्हें नियंत्रित कर रही है बल्कि इनमे निवेश भी कर रही है। ये साफ है कि अब खाद्य प्रदार्थों के मल्टीब्रांड रिटेल ट्रेड में भी विदेशी निवेश की पुरज़ोर कोशिशें की जा रहीं है जो कि बिज़नेस टू कंस्यूमर्स रिटेल ट्रेड का प्रमुख अंग है।
श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा की देश के 7 करोड़ छोटे बड़े व्यापार से 40 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है जिसको नज़रअंदाज़ नही किया जा सकता। छोटे किराना स्टोर अथवा व्यापारियों की सुरक्षा और जीविका के लिए सरकार ने प्रेस नोट में दिए गए उपनियम 5.2.5 और उपनियम 5.2.5.2 के अनुसार सिर्फ मैन्युफैक्चरर को ही अपने द्वारा बनाये गए खाद्य प्रदार्थो को व्होलेसेल या रिटेल में बेचने की अनुमति है। इसमे ई कॉमर्स भी शामिल है। कैट ने लिखे गए पत्र में ये सवाल उठाया है कि आखिर क्यों ये विदेशी कंपनियां बार बार देश की एफआईआर पालिसी का उलंघन करने का साहस कर रही है
श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने साफ किया कि जिस प्रकार से खुलेआम बी टू सी रिटेल ट्रेड का मुख्य हिस्सा रहे खाद्य और ग्रोसरी प्रोडक्ट्स में विदेशी नियंत्रण और निवेश हो रहा है उससे विदेशी निवेशकों को मल्टी ब्रांड रिटेल में प्रतिबंधित करने के प्रेस नोट के प्रावधान का उल्लंघन हो रहा है और इसी दृष्टि से कैट ने वाणिज्य मंत्री श्री गोयल से एक नया प्रेस नोट जारी करने का आग्रह किया है !।