गोविंद सिंह डोटासरा बने राजस्थान कांग्रेस के नए अध्यक्ष
जयपुर 14 जुलाई 2020,चैनल88 न्यूज़ (इन्दु बंसल):- राजस्थान में पिछले कुछ दिनों से चल रही राजनीतिक उठा पठक अब विराम की ओर है। इस खेल में अशोक गहलोत ने अपना लोहा मनवाते हुये । पहले तो 100 से ज्यादा विधायको का शक्ति प्रदर्शन कर सरकार बचा ली। और अब कई दिनों से सचिन को मनाने में लगे थे। लेकिन सचिन के न मानने पर उन्हें उपमुख्यमंत्री पद से व प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। सूत्रों की माने तो उन के साथ ही तीन ओर मंत्रियों को मंत्रिमंडल से हटाया गया है। सचिन पायलट की जगह वर्तमान शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। दूसरी ओर देखा जाए तो सचिन पायलट के जाने से कोंग्रेस को क्या नुकसान हो सकता है। इस के लिये सचिन पायलट का इतिहास जानना जरूरी है। यह है सचिन पायलट का इतिहास– सचिन पायलट के पिता थे राजेश्वर प्रसाद बिधूड़ी 1966 से 1979 तक इंडियन एयर फ़ोर्स में स्क्वाड्रन लीडर ऑफिसर थे। संजय गाँधी को हवाई जहाजों का शौक था, इसी के चलते उनकी दोस्ती संजय गाँधी से हो गयी। इंदिरा जी को राजपूत-गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र में कोई गुर्जर कैंडिडेट चाहिए था तो संजय ने राजेश्वर का नाम सुझाया। इंदिरा जी उनका लम्बा सा नाम लेने की बजाय पायलट कहती थी यही से उनका नाम पड़ गया। जब उन्होंने 1980 के चुनाव में आवेदन किया तो इंदिरा जी के कहने पे कि “तुमपे पायलट सूट करता है” एफिडेविट देके राजेश्वर प्रसाद बिधूड़ी से राजेश पायलट हो गए। उन्होंने जनता परिवार के कद्दावर नेता नाथी सिंह को 10 हज़ार वोटो से हराया। बाद में वो जयपुर की दौसा सीट से चुनाव लड़ते थे।
1991-93 संचार मंत्री, 1993-95 आतंरिक सुरक्षा मंत्री और 1995 में जमीन यातायात मंत्री रहे। एक बार तो उन्हें प्रधानमंत्री पद का दावेदार माना जाने लगा था। सान 2000 में उनकी जयपुर में मृत्यु हुईं जिसके बाद उनके नाम का स्टाम्प भी भारत सरकार ने जारी किया।
सचिन पायलट के बाबा ग्रेटर नॉएडा के पास वैदपुरा के रेहेन वाले थे। वो साईकिल से लुटियंस में दूध देने जाया करते थे। राजेश पायलट को राजनीति में अचानक उतार दिया गया था। राजेश पायलट ने अपने बेटे सचिन पायलट को शुरू से तैयार किया। उन्हें शुरू से राजनीति की शिक्षा दी। दोनों का रिश्ता प्रगाढ़ था। 2004 के इलेक्शन में सचिन पायलट दौसा से जीत कर भारत के सबसे कम उम्र के सांसद बने थे। इसके बाद 2009 में भाजपा की सीट अजमेर मे किरण माहेश्वरी को हराया।
सचिन पायलट की सबसे बेहतरीन चीज ये है कि वो एक कम्पलीट राजनेता है। हिंदी -इंग्लिश -मेवाड़ी भाषा, भाषण, जनता से मिलना, जमीनी मुद्दे, आर्थिक व सुरक्षा कि समझ व अंतर्राष्ट्रीय पटल पे भी ये बंदा कई बार बेहतरीन भाषण देते देखा गया है। दूसरी पीढ़ी के नेताओं में अपने बाप के संघर्ष की जानकारी की कमी पायी जाती है लेकिन सचिन ने अपने पिता के संघर्षो पे खुद किताब लिखी है..
यदि सचिन पायलट कांग्रेस छोड़ते हैँ तो मैं कहूंगा कि वर्तमान राजनीति का बेहतरीन और भविष्य का एक बढ़ा नेता कांग्रेस ने गवा दिया.. कांग्रेस के पास सिंधिया का विकल्प होगा लेकिन सचिन का कतई नहीं है। सचिन के जाने से जो कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटेगा उसकी पूर्ति राहुल गाँधी अगले लोकसभा तक तो कतई नहीं कर पायेंगे.. इसके बाद मान लेंगे कि भारत में कांग्रेस का तब तक कुछ नहीं हो सकता जब तक राहुल गांधी खुद आगे आकर पार्टी में युवाओ व वरिष्ठों में सेतु का काम करे व पार्टी में व प्रदेश सरकारों में युवाओ की बातों को महत्त्व दिया जाये ऐसी एक व्यवस्था राहुल गांधी जी प्रियंका गांधी जी को पार्टी में करनी पड़ेगी ।