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सिटी सैंटर घोटाले में सीएम पंजाब व अन्य आरोपी बरी। कैप्टन ने विधायकों का करवाया मुंह मीठा।चैनल88

लुधियाना,चैनल88 न्यूज़ (ब्यूरो):- पंजाब के बहुत चर्चित करोड़ों के सिटी सैंटर लुधियाना घोटाले में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह व अन्य पर चल रहे केस को बंद करवाने के लिए अदालत में दायर की गई क्लोज़र रिपोर्ट पर फैसला आ गया है। चर्चित सिटी सेंटर में करोड़ों के घोटाले में विजिलैंस द्वारा दाखिल की गई केस की क्लोज़र रिपोर्ट को अदालत ने मंजूर कर लिया है। जिससे इस केस में आरोपी बनाये गए पंजाब के सीएम कैप्टन अमरेंद्र सिंह सहित सभी आरोपीओ को क्लीन चिट मिल गई । लुधियाना की जिला एवं सैशन जज गुरबीर सिंह की अदालत में आज सुनवाई हुई। जिसमें अदालत के निर्देशानुसार आरोपी पंजाब के सीएम कैप्टन अमरेंद्र सिंह, व अन्य उपस्थित थे। सुनवाई के चलते कोर्ट कांप्लेक्स व आस पास कड़े सुरक्षा प्रबंध थे। सुबह से प्रत्येक व्यक्ति को कड़ी सुरक्षा जांच के बाद कोर्ट कांप्लेक्स में दाखिल होने दिया जा रहा था।

विजिलैंस ब्यूरो ने पहले ही सिटी सेंटर घोटाले में एक क्लोज़र रिपोर्ट दाख़िल की हुई है और 12 साल पहले इस एजेंसी ने मामले में एफआईआर दर्ज की थी। विजिलेंस ने अगस्त 2017 में मामले में क्लोज़र रिपोर्ट दायर की थी,जिसके बाद कोर्ट ने क्लोज़र रिपोर्ट पर दलीलें सुननी शुरू कर दी थीं। जबकि पंजाब प्रोसेक्शन विभाग ने क्लोज़र रिपोर्ट के पक्ष में तर्क दिया था क्योंकि उन्होंने पंजाब विजिलेंस का प्रतिनिधित्व किया। सुनवाई के दौरान कई याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था, जिसमें क्लोज़र रिपोर्ट की वैधता पर ही सवाल उठाया गया था और अदालत ने इसे ख़ारिज करने की मांग की थी। क्लोज़र रिपोर्ट को चुनौती देने वालों में पंजाब पुलिस के पूर्व पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी, पूर्व विजिलेंस एसएसपी कंवर पाल सिंह संधू, विधायक (आत्म नगर) निर्वाचन क्षेत्र सिमरजीत सिंह बैंस और आर्किटेक्ट सिटी सेंटर सुनील कुमार शामिल थे। इन सभी ने दायर अलग अलग याचिकाओं के माध्यम से क्लोज़र रिपोर्ट को ख़ारिज करने की मांग की गई थी लेकिन इन्हें कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया। माननीय अदालत द्वारा विजिलैंस ब्यूरो की क्लोज़र रिपोर्ट को लेकर अपना फैसला सुनाया गया। –क्या था सिटी सेंटर प्रोजैक्ट — राज्य की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक के रूप में 2006 में लुधियाना सिटी सेंटर के निर्माण की योजना बनाई गई थी। 25 एकड़ में फैले इस प्रोजेक्ट में शॉपिंग मॉल, मल्टीप्लेक्स, आवासीय अपार्टमेंट, हेलीपैड और पार्किंग स्लॉट का प्रस्ताव था। । इस परियोजना को लुधियाना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट द्वारा विकसित किया जाना था। लुधियाना के पक्खोवाल रोड पर परियोजना स्थल वर्तमान में खंडर के रूप में तबदील हो चुका है। विजिलैंस ब्यूरो द्वारा दर्ज मामले में सीएम अमरिंदर सिंह, उनके बेटे और दामाद इस मामले में आरोपियों में शामिल हैं, क्योंकि यह आरोप लगाया गया था कि कैप्टन अमरेंद्र सिंह द्वारा पूर्व कार्यकाल के दौरान निजी बिल्डर को लाभ पहुंचाया गया है। मामले के अनुसार, अमरिंदर सिंह और 35 अन्य लोगों ने राज्य के ख़ज़ाने को 1144 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया। हालांकि, चारों आरोपियों की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई है और वर्तमान में, 32 अभियुक्त हैं। विजिलेंस ब्यूरो ने अपनी जांच में आरोप लगाया कि अमरिंदर ने एलआईटी अधिकारियों और अन्य लोगों के साथ मिलकर एक निजी कंपनी मैसर्ज टुडे होमस का पक्ष लिया और बिड्स में छेड़छाड़ करके इस कांट्रैक्ट को अवार्ड किया। यह भी आरोप लगाया गया था कि कांग्रेस पार्टी 2007 के चुनावों के लिए इस परियोजना से कम से कम 100 करोड़ रुपये की धनराशि चाहती थी और इसलिए तत्कालीन सीएम और अन्य लोगों ने मैसर्ज टुडे होमस के मालिकों से 100 करोड़ रुपये की कथित रिश्वत राशि ली थी, बदले में उन्हें सिटी सेंटर कांट्रेक्ट प्रदान करना था। अपनी पहली जांच रिपोर्ट में, जिसके आधार पर एसएसपी कंवरजीत सिंह संधू ने एफआईआर दर्ज की, विजिलेंस का कहना है, राज्य के खजाने को पहुंचाने और मैसर्ज टुडे होमस को गलत तरीके से लाभ दिलाने से नुकसान पहुंचाने का अनुमान 1,500 से 3,000 करोड़ रुपए के बीच है। एक एसपी (विजिलैंस ब्यूरो) की एक खुफिया रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया कि इस कांट्रैक्ट के बदले 100 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का भुगतान मैसर्ज टुडे होमस द्वारा कैप्टन अमरिंदर सिंह, तात्कालीन चेयरमैन परमजीत ङ्क्षसह सिबिया, जगजीत सिंह व अन्य को अवैध परियोजना के कार्यान्वयन और आवंटन के बदले रिश्वत के रूप में किया गया है। इसके अलावा, विजिलैंस ब्यूरो ने कहा कि कैप्टन ने एलआईटी के चेयरमैन अशोक गरचा को हटा दिया क्योंकि उन्होंने परियोजना को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। बाद में, विजिलेंस ब्यूरो ने तत्कालीन एलआईटी के कार्यकारी अधिकारी दयाल चंद गर्ग से 40 लाख रुपये की रिश्वत की वसूली का दावा किया। विजिलेंस ने दावा किया था कि दिल्ली के एक अन्य आरोपी चेतन गुप्ता के पास से एक पेन ड्राइव भी बरामद की गई थी जिसमें कैप्टन और उनके बेटे रणवीर सिंह के खातों में मैसर्ज टुडे होमस द्वारा कथित रूप से कम से कम 21 करोड़ रुपये के हवाला लेन-देन का विवरण था। विजिलेंस ब्यूरो की जांच में कहा गया है कि एलआईटी के अधिकारियों ने कथित तौर पर लुधियाना के होटल पार्क प्लाजा में 10-11 मई, 2005 की रात को टेंडर में छेड़छाड़ की गई जिस दौरान टूडे होमस के अधिकारी भ्भी मौजूद थे। हालांकि 17 मई, 2005 को आधिकारिक रूप से टेंडर खोले जाने तय थे। 10 साल बाद इसी जांच एजेंसी द्वारा दायर मामले में क्लोज़र रिपोर्ट ने पूरी तरह से यू टर्न ले लिया और कहा कि इसमें कोई घोटाला नहीं था और आरोप काल्पनिक थे। –TIME LINE– मार्च 2007 : पंजाब विजिलेंस डिपार्टमेंट ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ सिटी सेंटर घोटाले में एफआईआर दर्ज की, जिसमें 33 आरोपियों में से एक का नाम था।– दिसंबर 2007: विजिलेंस ने मामले में आरोपपत्र दायर किया।— जून, 2013: प्रवर्तन निदेशालय ने ईसीआईआर (प्रवर्तन मामले की जांच रिपोर्ट) दर्ज की और अपनी जांच शुरू की।– 20 अगस्त, 2017: सतर्कता फाइलों ने मामले में रिपोर्ट बंद कर दी।— 30 अगस्त, 2018: पूर्व एसएसपी कंवरजीत सिंह संधू द्वारा दायर अर्जी में आरोप लगाया गया कि उन्हें धमकाया जा रहा है और अदालत द्वारा ख़ारिज कर दिया गया।– 15 नवंबर 2018: क्लोज़र रिपोर्ट पर तर्क शुरू।— 28 नवंबर, 2018: पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी ने आदेश पारित करने से पहले उन्हें सुनने के लिए अदालत से आग्रह किया।– 27 फरवरी, 2019: सैनी की याचिका ख़ारिज कर दी गई। 27 नवंबर, 2019- अदालत ने अपना फैसला सुनाया।

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