पत्रकार ही घोंट रहें है पत्रकारों की आवाज का गला- जेसीआई
September 15, 2021
महिला पत्रकार प्रताड़ना मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने दिए फ़रार अपराधी आशिष पांचाल को आत्मसमर्पण के आदेश
September 27, 2021
Show all

रेल प्रशासन अपने कुछ ‘अधिकारियों’ पर हुआ मेहरबान

लुधियाना रेलवे स्टेशन

लुधियाना : लुधियाना रेलवे स्टेशन पर अधिकारियों की कुर्सी पर आखिर ऐसा कौन सा गोंद का मजबूत जोड़ है जो उस पर बैठने वाले पिछले कई वर्षों से सीटों पर चिपक कर बैठे हैं। जबकि रेलवे में किसी भी पद पर तीन साल या ज्यादा से ज्यादा 4 वर्षों का ही कार्यकाल होता जिसके बाद तबादला होना तय होता है। इसके बावजूद कई अधिकारी कमर्शियल, आई.डब्लयू. वाणिज्य, स्वास्थ्य या ऐसे और भी कई विभाग है जिनमें न जाने किस लालच में वो लोग अपनी सीटों पर जमे बैठे है और अपनी कुर्सी से मोह का मजबूत जोड़ किसी न किसी भ्र्ष्टाचार की ओर इशारा करता दिखाई दे रहा है। वर्ना कोई भी विभाग के असूलों की उल्लंघना कैसे कर सकता है। पंजाब के फिरोजपुर मंडल का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन लुधियाना पिछले कई वर्षों से इन्हीं बातों को लेकर चर्चा में चलता आ रहा है। कि जो भी रेलवे का बाबू लुधियाना रेलवे स्टेशन पर विभाग के किसी उच्च पद पर पदस्थ हो गया फिर न जाने उसकी कुर्सी पर कौन सा गोंद लग जाता है। जो कुर्सी का मोह छोड़ना ही नही चाहता। अगर बात करें बीते कई सालों की उन अधिकारियों का तबादला एक बार भी नहीं हो पाया है। जिकर योग बात यह भी है कि वो लोग फिरोजपुर मंडल में बैठे अधिकारियों के चहेते बनकर रेलवे के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। यह अधिकारी किसी भी रेलवे बोर्ड के नियम को न मान कर अपने अपने चहेतों को मलाईदार सीटों पर पिछले कई वर्षों से बिठाए हुए है। अगर बात की जाए लुधियाना रेलवे स्टेशन जहां पिछले कई वर्षों से इन्हीं बातों को लेकर चर्चा चल रही है। कि कैसे एक ही स्टेशन और एक ही सीट के ऊपर इन चहेतों को मलाई खाने का आशीर्वाद प्राप्त हो रहा हैं। आखिर क्यों इनका तबादला नहीं होता। ज्ञात रहे कि बीते 20 वर्षों में पांच डीआरएम और आधा दर्जन से अधिक सीनियर डीसीएम के तबादले हो चुके हैं लेकिन लुधियाना रेलवे स्टेशन से इन अधिकारियों का तबादला क्यों नहीं किया गया है। क्या पूरे फिरोजपुर मण्डल या अन्य किसी भी मंडल में एक भी ऐसा काबिल अधिकारी नहीं है जो इन पदों को संभाल सके।

अभी हाल ही में एक सी.आई.टी. को भ्र्ष्टाचार में संलिप्त पाए जाने पर किया गया जबरन रिटायर

अगर उच्च अधिकारी चाहे तो रेलवे में कोताही बरतने पर किसी भी अधिकारी को नही बख़्श सकता। लेकिन शर्त यह है कि वो अधिकारी किसी का चहेता न हो। सूत्रों की माने तो साल 2018 में एक सी.आई.टी. पद पर तैनात सुरजीत सिंह पर रिश्वतखोरी का आरोप लगा था। जिस मामले में संज्ञान लेते हुए उक्त सी.आई.टी. सुरजीत सिंह को जबरन रिटायर कर दिया गया है। हालांकि इस पूरी प्रक्रिया में तीन साल का वक्त लग गया लेकिन विभाग के उच्चाधिकारियों ने यहां यह साबित कर दिया कि सभी अफसर एक जैसे नही होते। जबकि जबरन रिटायर होने वाला सुरजीत सिंह पिछले 33 सालों से रेलवे में कार्यरत था।

Translate »