करनाल 19 अगस्त 2020,चैनल88 न्यूज़ (इन्दु/नवीन बंसल):- राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि भाजपा राज में पहले ही किसानों पर चौतरफा मार पड़ रही है, उपर से 3 नये कृषि अध्यादेश लाकर किसानों की कमर तोडऩे का काम किया है। सरकार द्वारा सारी व्यवस्थाओं को दरकिनार कर ये अध्यादेश लाये गये। एमएसपी मंडियों की व्यवस्था को धराशायी करने के लिये कोरोना की आड़ में 3 अध्यादेश लाये गये। बिना किसी नियम व नियंत्रण के खरीद का निजीकरण करने की तरफ सरकार का फैसला आया है। पूरे देश और प्रदेश के किसान इन अध्यादेशों का विरोध कर रहे हैं। किसान को देशद्रोही बताने वाले और मजदूर की लाठियों से पिटाई कराने वाले दल को शर्म आनी चाहिए। किसान को देशद्रोही बताने वालों को देश स्वीकार नहीं करेगा। किसान को देशद्रोही बताने वालों का जवाब बरोदा देगा।
उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा रूपरेखा में यदि 3 नये कृषि अध्यादेशों को बढ़ाया जायेगा तो किसान की हालत आजादी से पहले वाली स्थिति में पहुंच जायेगी। उन्होंने नये कृषि अध्यादेशों को वापस करने तथा एमएसपी कानून बनाने की मांग की। सांसद दीपेंद्र ने यह भी कहा कि अध्यादेश में ये प्रावधान किये जाएं कि एमएसपी से कम में कोई खरीद नहीं होगी, यदि कोई ऐसा करे तो दंड का भी प्रावधान हो।
उन्होंने कहा कि देश भर के किसान संगठन, तमाम कृषि विशेषज्ञ इस बात को कह रहे हैं कि नये कृषि अध्यादेश एमएसपी सिस्टम पर सबसे बड़ी चोट साबित होंगे। नये अध्यादेश आजादी के बाद से आज तक किसानों को अपने पैरो पर खड़े करने और सशक्त बनाने वाली एमएसपी व्यवस्था पर बड़ा प्रहार है। आजादी से पहले एमएसपी की व्यवस्था नहीं थी। एमएसपी का प्रस्ताव सबसे पहले 1948 में संविधान सभा में रणबीर सिंह ने रखा। उसके बाद धीरे धीरे एमएसपी का कानून बना और उसमें फसलें जोड़ी गयी। यदि यह व्यवस्था कमजोर हुई तो मंडी व्यवस्था के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग जायेगा।
सांसद दीपेंद्र ने आगे कहा कि मंडियों की व्यवस्था ही अगर कमजोर हो जायेगी तो मंडियों से जुड़े मार्केटिंग के लोगों को भारी आर्थिक चोट पहुंचेगी। हरियाणा को मंडी शुल्क से करीब 6 प्रतिशत मंडी शुल्क से राजस्व मिलता है। इसकी भरपाई कहां से होगी। मंडी व्यवस्था को दरकिनार कर निजी खरीददारों को बिना किसी कानून के खरीद की तरफ लेकर गये तो किसान के हितों की रक्षा कौन करेगा।
उन्होंने कहा कि हरियाणा में लाखों छोटे और मध्यम किसान ठेके पर जमीन लेकर खेती करते हैं। जब बड़ी.बड़ी निजी कंपनियां हजारों लाखों एकड़ जमीन ठेके पर ले लेंगी तो फिर लाखों छोटे किसानों की आजीविका का क्या होगा। किसान देश में खेतों को अपने पसीने से सींचता है और उसका बेटा सैनिक बनकर अपने खून से देश की सीमाओं की रक्षा करता है। चाहे जेठ की गरमी हो या पौ का पाड़ा किसान दिन रात खेतों में काम करता है तब जाकर देश का पेट भरता है।
उन्होंने आगे कहा कि देश और प्रदेश में किसान के साथ घोर अन्याय हो रहा है। किसान पीड़ा में अपनी बात रख रहा है। तो भाजपा किसानों को देशद्रोही कह रही है। 6 साल से किसान चिंतित हैं। हर बार खरीद के लिये किसानों को दर.दर की ठोकरें खानी पड़ी। स्वामीनाथन का भाव मिलना तो दूर मौजूदा भाव ही नहीं मिला। किसान को देशद्रोही बताने वालों और मजदूर की लाठियों से पिटाई कराने वालों को देश स्वीकार नहीं करेगा। किसान को देशद्रोही बताने वालों का जवाब बरोदा देगा।