सट्टा प्रकरण मार्च 2015 में भी शराब माफिया भूपेंद्र के तत्कालीन आईजी आलोक कुमार राय एसपी अशोक कुमार डीएसपी खरखोदा प्रदीप कुमार सिटी एसएचओ नरसिंह एएसआई सिकंदर हवलदार अनिल एसएचओ सिविल लाइन ऋषि कांत तहसीलदार विकास तथा पूर्व मंत्री पति राजीव जैन से गहरे संबंध थे । इन सभी की भूमिका संदिग्ध थी इसलिए इन सब की सीबीआई जांच हो : विमल किशोर
सोनीपत 3 जुलाई 2020, चैनल88 न्यूज़ (नवीन बंसल):- आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विमल किशोर ने खरखोदा शराब घोटाले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि शराब माफिया भूपेंद्र के हरियाणा में पुलिस के उच्च अधिकारियों तथा प्रशासनिक अधिकारियों व राजनेताओं के साथ गहरे संबंध हैं। इसलिए हरियाणा में निष्पक्ष जांच होना नामुमकिन है।
विमल किशोर ने बताया कि 21 मार्च 2015 को स्पेशल स्टाफ में तैनात एएसआई सिकन्दर ने सट्टेबाज को रंगे हाथ पकडा था और एक लाख चालिस हजार रूपये रिश्वत लेकर कर छोड दिया था जिसकी फोन रिकार्डिंग उनके संगठन के पास पहुची और उन्होने सारे मामले को उजागर किया तथा तत्कालीन पुलिस व अधिकारियों की शिकायत की थी और 26 मार्च को एएसआई व अनिल हवलदार को सस्पैंड कर दिया गया ।
फिर चला शराब माफिया भूपेन्द्र के गिरोह का नंगा नाच जिसमें बडे पुलिस अधिकारी भी शामिल थे । 27 मार्च 2015 को शराब माफिया भूपेन्द्र अपने दो साथियों के साथ विमल किशोर के कार्यालय पहुंचकर सिकन्दर वाले मामले में पीछे हटने को कहा। मना करने पर रिवाल्वर निकाल कर जान से मारने की धमकी भी दी। मामला बढता देख विमल किशोर की शिकायत पर भूपेन्द्र व उसके दो साथियों के खिलाफ पुलिस हल्का मामला दर्ज करती है । और 28 मार्च को इसी मामले में जांच के लिए एसपी कार्यालय बुलाया जाता है और एसपी कार्यालय के बाहर ही विमल किशोर पर गाडी चढाकर जान से मारने का प्रयास किया जाता है। मौके पर पुलिस पहुंचती है पर मामूली आपसी झगड़ा दिखा कर दोनो तरफ से 107/51 का मामला बनाकर विमल किशोर व उनके साथी को थाने में ही शराब माफिया भूपेन्द्र व सिटी थाने का एसएचओ डराता है घमकाता है और सारी रात हवालात में बन्द करते है । तो दूसरी तरफ एसएचओ नरसिह भूपेन्द्र को हवालात में बन्द करने की बजाय खूब खातिरदारी करता है।
विमल किशोर ने आगे बताया कि अगले दिन जब तहसीलदार विकास कुमार के पास पेश किया जाता है तो तहसीलदार जमानत देने से मना करता है जबकि उसे अधिकार ही नही था कि वह 107/51 में जमानत न दे लेकिन बाद में एडवोकेट पंकज त्यागी से काफी कहासुनी के बाद जमानत देनी पडी।
इस सारे मामले में तत्कालीन मंत्री पति राजीव जैन ने भी मामले को रफा-दफा करने के लिए दबाव डाला था और जब हम नहीं मने तो उन्होंने कहा था हम जांच में सिकंदर को बहाल करवा देंगे और हुआ भी यही उस समय हमारी कहीं पर भी सुनवाई नहीं हुई और सबूत होने के बावजूद सिकंदर का कुछ नहीं बिगड़ा बल्कि हमारा जबरदस्त उत्पीड़न हुआ और यहां तक कि पुलिस से साज बाज हो कर कुछ बदमाशों ने मेरे पर ही जानलेवा हमला करके गंभीर रूप से घायल कर दिया था।
यह परिस्थितियां बता रही हैं कि शराब माफिया भूपेंद्र के किस कदर पुलिस के उच्च अधिकारियों प्रशासनिक अधिकारियों तथा राजनेताओं से गहरे संबंध हैं और यह सभी आपस में मिले हुए हैं आम आदमी पार्टी चाहती है कि इस तरह के गठजोड़ को समाप्त किया जाए ताकि ईमानदार अधिकारी ईमानदारी से काम कर सके और आम आदमी को भ्रष्टाचार से मुक्ति मिल सके इसलिए जांच का दायरा बढ़ाते हुए इस सारे मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए तभी दूध का दूध पानी का पानी हो पाएगा। ओर इस सारे मामले में संलिप्त पुलिस अधिकारियों व राजनेताओं के चहेरे जनता के सामने आएंगे।