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NRC,CAB,CAA क्या है ? देखें। चैनल88

1.NRC क्या है …………….?

उत्तर :- NRC मतलब National Register of Citizenship राष्ट्रीय नागरिक पंजी जो वर्तमान में सिर्फ असम में लागू है। पूरे देश में बगैर कानून बनाये इसे लागू नहीं किया जा सकता है। NRC अवैध रूप से भारत मे रह रहे विदेशियों को बाहर निकालने का कानून है। इसके ठीक उल्टा CAA पड़ोसी देश से आये को नागरिकता देने का कानून है। दोनों कानून अलग अलग है।

2. प्रश्न :- असम में ही क्यों लगा NRC ??

उत्तर :- अंग्रेजों के शासनकाल में चाय बागान में काम करने और खाली पड़ी जमीन पर खेती करने के लिए बिहार-बंगाल के लोग असम आते थे, इसलिए वहां के स्थानीय लोग बाहरी लोगों से द्वेष रखते थे। साल 1950 में असम देश का राज्य बना। नागरिकता रजिस्टर साल 1951 की जनगणना के बाद तैयार हुआ था और इसमें तब के असम के निवासियों को शामिल किया गया था। 1950 के दशक में ही बाहरी लोगों का असम आना राजनीतिक मुद्दा बनने लगा था, लेकिन आजादी के बाद में भी तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान और बाद में बांग्लादेश के लोगों का अवैध तरीके से असम आने का सिलसिला जारी रहा । बीच-बीच में इस मसले पर थोड़ी बहुत आवाज उठती रही। राज्य में NRC को अपडेट करने की मांग 1975 से ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन द्वारा उठाई गयी थी। असम समझौता 1985 हिसाब से 25 मार्च 1971 से पहले असम में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिक माना गया। उसके बाद राज्य में प्रवेश करने वाले बांग्लादेशी शरणार्थियों के नाम मतदाता सूची से हटाने और वापस बांग्लादेश भेजने का निर्णय लिया गया।

3.प्रश्न :- CAB या CAA क्या है ?

उत्तर :- CAB मतलब (Citizenship Amendment Bill) नागरिकता संसोधन बिल होता है। जो हाल ही में सरकार के द्वारा संसद में लाया गया है और यह बिल संसद की दोनों सदनों में बहुमत से पास भी हो गयी। इस बिल पर माननीय राष्ट्रपति महोदय का दस्तखत भी हो गया है और अब यह कानून बन गयी है। जिसका नाम हुआ CAA इसका मतलब है Citizenship Amendment Act यानी नागरिकता संसोधन कानून।

4.प्रश्न :- क्यों लाना पड़ा CAB या CAA सरकार को ?

उत्तर :- पुराने सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट में सुधार करते हुए कुछ नए नियम जोड़ने के लिए लाना पड़ा यह बिल। इस कानून की मदद से अब भारत के पड़ोसी तीन मुस्लिम बाहुल्य देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से उत्तपिड़ित होकर आए वहाँ के अल्पसंख्यक हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों को अब भारत की नागरिकता मिल जाएगी। ध्यान रहे पहले यह नागरिकता 11 साल भारत में शरण लेने के बाद मिलता था जिसे घटा कर अब 5 साल कर दिया गया है। यानी वो लोग जो 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया था। वे सभी भारत की नागरिकता के पात्र होंगे। अब सरकार उन्हें यहाँ की नागरिकता देगी।

5.प्रश्न :- CAA पर सरकार क्या कहती है ??

उत्तर :- इस एक्ट में इस्लाम धर्म के लोगों को शामिल नहीं किया गया है। गृहमंत्री अमित शाह का कहना है कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश मुस्लिम देश हैं। वहां धर्म के नाम पर मुस्लिम उत्पीड़ित नहीं होते, इसलिए उन्हें इस एक्ट में शामिल नहीं किया गया है। उनका यह भी स्पष्ट कहना है कि इस कानून से भारतीय मुसलमान का कहीं कोई लेना देना नहीं है। लोग बेवजह इसका विरोध कर रहे हैं।

6.प्रश्न :- विरोधीयों का क्या है कहना ??

उत्तर :- विरोधियों का कहना है कि ये कानून संविधान की मूल भावना और सेकुलरिज्म के खिलाफ है। इस कानून में देश में रह रहे अवैध प्रवासियों को धार्मिक आधार पर बांटा जा रहा है। ये देश में अवैध रूप से रह रहे छह धर्मों के लोगों को तो शरणार्थी मानकर नागरिकता देने की बात करता है लेकिन ऐसे मुस्लिमों को घुसपैठिया बताता है। इस कानून को एनआरसी की तैयारी भी बताया जा रहा है। भविष्य में एनआरसी लाने पर सिर्फ मुस्लिमों को ही अपनी नागरिकता साबित करनी होगी जबकि बाकी छह धर्मों को इससे छूट मिलेगी। वे मुस्लिम जो भारत की नागरिकता साबित नहीं कर पाएंगे उन्हें असम की तर्ज पर डिटेंशन सेंटर में रखा जाएगा।

7.प्रश्न :- CAA पर सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?

उत्तर :- नागरिकता संशोधन कानून, 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली सभी 59 याचिकाओं पर कोर्ट ने संज्ञान लिया। कोर्ट ने नागरिकता कानून पर स्टे लगाने से साफ तौर पर मना कर दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। अब मामले की सुनवाई 22 जनवरी 2020 को होगी।

8.प्रश्न :- CAA कहाँ लागू नहीं होगा ?

उत्तर :- इस कानून से असम के आदिवासी इलाके और मेघालय, मिजोरम या त्रिपुरा के अलावा अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम व नागालैंड को बाहर रखा गया है।

9.प्रश्न :- CAA के मुताबिक अवैध प्रवासी कौन हैं?

उत्तर :- अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान से आने वाले सभी हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई जो दिसंबर 2014 से पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं, उन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा. उनके अलावा वैध पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश करने वाले लोग या वैध दस्तावेजों के साथ प्रवेश करने वाले वो लोग जो स्वीकृत अवधि के बाद भी वापस नहीं गए हैं, वे सभी अवैध प्रवासी हैं।

10.प्रश्न :- प्रत्यावर्तन सन्धि क्या है ??

उत्तर :- प्रत्यावर्तन किसी को वापस भेजने या किसी को उनके मूल स्थान पर वापस भेजने की प्रक्रिया है । एक बार जब सरकार अवैध प्रवासियों (अधिनियम के अनुसार) की राष्ट्रीयता निर्धारित करती है, तो आदर्श रूप से उन्हें अपने मूल देश वापस भेजा जाना चाहिए। हालांकि भारत की बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से ऐसी कोई संधि नहीं है। ऐसे में यह एक और चिंतनीय विषय है।

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