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सीएम खट्टर के सुशासन राज में इंसाफ के लिए भटक रही है महिला पत्रकार

गब्बर की हनक से भी बेखौफ है हरियाणा पुलिस

महिला पत्रकार को न्याय दिलाने की बजाए अपराधियों को दिया जा रहा संरक्षण

चंडीगढ़ 30 जून 2020,चैनल88 न्यूज़ (ब्यूरो):- प्रदेश में चर्चा है कि हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज की हनक का जादू प्रशासन व पुलिस प्रशासन के सिर चढ़कर बोलता है। लेकिन हकीकत यह है कि पुलिस विभाग तो गब्बर की सख्ती को भी आंखें तरेर रहा है। इसका उदाहरण सोनीपत निवासी वरिष्ठ महिला पत्रकार इंदू बंसल के साथ पुलिस द्वारा की जा रही साजिश से मिल रहा है। इंदू बंसल के साथ हुई लाखों की धोखाधड़ी, मानसिक उत्पीड़न,जान से मारने की धमकी और प्रशासनिक उपेक्षा के खिलाफ पुलिस द्वारा कार्रवाई करने की बजाय उन्हें ही निरंतर प्रताड़ित किया जा रहा है। पीड़ित महिला पत्रकार द्वारा पिछले साल भर के अंदर दर्जनों बार पुलिस के आला अधिकारियों से मामले की शिकायत की जा चुकी है। उनको न्याय दिलाने के लिए महिला आयोग, प्रेस क्लब और डिलाइट सोसाइटी,महिला खाप महापंचायत के अलावा अनेकों सामाजिक और राजनीतिक संस्थाओं द्वारा आवाज बुलंद की जा रही है।
उधर पीड़ित महिला पत्रकार द्वारा धोखाधड़ी का शिकार होने और फर्जी मुकदमे में फंसाए जाने के तमाम साक्ष्य प्रस्तुत किए जाने के बावजूद पुलिस द्वारा अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है।
नामजद अपराधियों के खिलाफ पहले से ही कई मुक़दमे दर्ज हैं। फिर भी पुलिस अपराधियों को लगातार बचाने का प्रयास कर रही है। पीड़ित महिला पत्रकार इंदू बंसल ने बताया कि करीब 2 वर्ष पूर्व जून 2018 में अपराधिक प्रवृत्ति के एक गैंग द्वारा एक काम कराने के नाम पर उनसे लाखों रुपए डकारने के साथ उन्हें धोखा देते हुए नकली बिल थमा दिए गए। ऑडिट के दौरान बिल फर्जी मिले और महिला पत्रकार ने गैंग के लोगों से जब अपना पैसा वापस मांगा तो जान से मारने की धमकी दी गई। पीड़ित पत्रकार ने अपने जान माल की सुरक्षा और पैसे की वापसी की गुहार को लेकर दर्जनों बार वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के चक्कर काटे लेकिन पुलिस ने एक एफ.आई.आर तक नहीं दर्ज किया।
बाद में जब महिला पत्रकार ने हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज से गुहार लगाई तो उनके आदेश पर एसआईटी का गठन हुआ और धोखाधड़ी करने के आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 406,420,467,468 और 471के तहत मुकदमा दर्ज हुआ।
इसके बावजूद अब तक पुलिस ने अपराधियों को गिरफ्तार नहीं किया। बल्कि उनसे मिलीभगत कर पीड़ित पत्रकार को ही फंसाने की साजिश रचकर मारपीट का झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया गया।
यह मामला दर्ज होने से पहले अपराधियों और पुलिस के एक अधिकारी के साथ हुई बातचीत का ऑडियो इंदू बंसल के पास है जिसमें पुलिस अधिकारी से झूठा मुकदमा दर्ज करा कर इंदू बंसल को गिरफ्तार करने के लिए अपराधी 50 हजार रुपए की रिश्वत देने की बात कर रहे है। पीड़ित पत्रकार द्वारा इस तरह के साक्ष्य बड़े अधिकारियों को पेश करने के बाद सोनीपत के एसपी और डीसीपी ने थानाध्यक्ष को उक्त फर्जी मुकदमा खारिज करने के साथ अपराधियों के खिलाफ धारा 182 के तहत कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया। लेकिन स्थानीय स्तर पर पुलिस अभी भी अपराधियों का सहयोग कर रही है। मीडिया के माध्यम से पूछे जाने पर कई बार थानाध्यक्ष ने कहा कि पिछले 10 जून को ही इंदू बंसल के खिलाफ दर्ज कराए गए मारपीट के झूठे मुकदमे को निरस्त कर दिया गया था। लेकिन इसका लिखित साक्ष्य देने में थानाध्यक्ष और जांच अधिकारी द्वारा हीला- हवाली की जा रही है। जिसके सही सबूत भी पीड़ित पत्रकार के पास मौजूद है। इतना कुछ होने के बावजूद महिला पत्रकार को न्याय दिलाने के लिए ना तो प्रदेश सरकार कोई सख्त कदम उठा रही है और ना ही पुलिस के उच्चाधिकारी ही हस्तक्षेप करने का प्रयास कर रहे हैं।

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